Posts

चित्रांश समाज !

*क्यों कायस्थ 24 घंटे के लिए नही करते कलम का उपयोग* जब भगवान राम के राजतिलक में निमंत्रण छुट जाने से नाराज भगवान् चित्रगुप्त ने रख दी  थी कलम !!उस समय परेवा काल शुरू हो चुका था   परेवा के दिन कायस्थ समाज कलम का प्रयोग नहीं करते हैं  यानी किसी भी तरह का का हिसाब - किताब नही करते है आखिर ऐसा क्यूँ  है ? कि पूरी दुनिया में कायस्थ समाज के लोग  दीपावली के दिन पूजन के  बाद कलम रख देते है और फिर  यमदुतिया के दिन  कलम- दवात  के पूजन के बाद ही उसे उठाते है I इसको लेकर सर्व समाज में कई सवाल अक्सर लोग कायस्थों से करते है ? ऐसे में अपने ही इतिहास से अनभिग्य कायस्थ युवा पीढ़ी इसका कोई समुचित उत्तर नहीं दे पाती है I जब इसकी खोज की गई तो इससे सम्बंधित एक बहुत रोचक घटना का संदर्भ हमें किवदंतियों में मिला I कहते है जब भगवान् राम दशानन रावण को मार कर अयोध्या लौट रहे थे, तब उनके खडाऊं को राजसिंहासन पर रख कर राज्य चला रहे राजा भरत ने  गुरु वशिष्ठ को भगवान् राम के राज्यतिलक के लिए सभी देवी देवताओं को सन्देश भेजने की  व्यवस्था करने को कहा I गुरु वशिष्ठ ने ये काम अपने शिष्यों को सौंप कर रा

A true Indian

Image
Happy Independence Day a true Indian....🇮🇳 A soldier who loves his India more than himself . A true Indian . One who have always enlightened patriotism inside him not like every documented Indian who shows patriotism only on the eve and on the day of national importance like Independence day...🇮🇳🇮🇳❤️❤️

अचंभित संयोग

Image
।। अचंभित संयोग ।। ।भारतीय स्वतंत्रता दिवस एवं रक्षाबंधन एक दिवसीय। स्वतंत्रता दिवस : इतिहास का वह दिन जिस दिन भारत ने अंग्रेजों की गुलामी छोड़ कर खुद को स्वतंत्र किया । वह दिन जब भारत क्वीन विक्टोरिया नहीं भारत मां कहलाई । भारतीय इतिहास का एक सुनहरा अवसर लोगों को कोई डर ना था , सब खुश थे , सब एक दूसरे को अच्छी नज़र से एवं प्रेम की नज़र से देख रहे थे । सबकी आंखों में भाईचारा झलक रही थी । औरतों के लिए सम्मान था । भारत एकजुट होने वाला था । रोंगटे खरे थे सबके । वह भारत और आज के भारत में कोई अंतर नहीं है । हां भाई हां कोई अंतर नहीं है । जी बिल्कुल सही पढ़ा आपने सही समझा कोई अंतर नहीं है । भारत जैसा था वैसा ही तो है । आज भारत में हर एक नारी के लिए कोई भी दिन सुनहरा नहीं काला दिन हो सकता है , पुरुषों को कोई डर नहीं औरतों को डर हमेशा रहता है , कोई भी औरत खुश नहीं है , सब महिलाओं को देखते तो हैं मगर सामान के रूप में , ममता की मूरत को  तोड़ डालते हैं , किसी की बिटिया को छेड़ जाते हैं औरतों के लिए कोई सम्मान नहीं बचा । यह आज का भारत है जहां हर रोज एक महिला रात को सड़क पर जाने से पहले कई
मां एक शब्द ही नहीं पूरी दुनिया है । हर एक इंसान की कहानी यहीं से शुरू यहीं पर खत्म होती है । मां के लिए जितना भी लिखूं उतना कम है लेकिन मैंने कुछ पंक्तियां लिखी हैं , उम्मीद है आप सब को पसंद आएंगी । 270 दिनों तक तेरे गर्भ में रहा पर तूने कोई किराया नहीं लिया, लात मार कर दिन रात तुझे परेशान किया पर तूने आह  भी ना भरी 💕 मेरा जन्म ही पहला और आखरी वह दिन था जब मैं रोया और तू हंसी , ऐसे तो बस तू ही है एक जो समझ जाए  दर्द के सामने की हंसी ।। पहली बार जब से आंखें खोली तब से तुझे चाहा है मेरी लड़खड़ाती,  टूटी फूटी आवाज़ ने  सबसे पहले "मां" ही  तो पुकारा है💕 जब सब अपनी गोद में लोग  मुझे खेलाने के लिए व्याकुल थे , तब मैंने तेरी गोद में ही सुकुन पाया है ।। तूने जो स्वेटर बुने थे मेरे लिए वो लाल पीले रंग बिरंगे चटक मटक सितारों से भरे मेरे लिए वह है  दुनिया के सभी परिधानों से परे ।। जैसे-जैसे बड़ा हुआ तुझसे दोस्ती गहरी होती गई मेरे खाना ना खाने के बहानों के लिए तू बहड़ी होती गई तुमने मुझे चलना सिखाया था ना देखा आज मैं हर दौर  में अव्वल हूं उंगलियां पकड़कर लिखना सिखाया

"अभिनंदन" 🇮🇳

Image
The wing commander " ABHINANDAN VARTHAMAN" The name which is being greeted hy Indians . I am speechless about his bravery and his courage. I write too many articles and blogs but genuinely I am not  capable to  write about this brave man.  Salure from core of my heart.🇮🇳 Jai hind 🇮🇳| Jai Abhinandan  Abhinandan in India

26 / 02 /2019

दिनांक ही काफी है शीर्षक के लिए ।  माफी चाहता हूं मित्रों बहुत दिन से गायब था कोई ब्लॉग नहीं एक भी पोस्ट नहीं वह बात यह है कि मैं शायरी लिखने में और दैनिक कार्यों में थोड़ा मशगूल हो गया था । मैंने नया ब्लॉग  "महफ़िल-ए-सिन्हाशायराना " शुरू किया है । shayarsinha.blogspot.com  . मेरे इस ब्लॉग पर भी अपनी कृपा दृष्टि बनाए रखें । ..... मेरे आज के ब्लॉग का शीर्षक आपको अचंभित कर सकता है। वैसे अगर आप रोजाना देश विदेश में हुई घटनाओं से रूबरू रहते हैं उसके बारे में पता रहता है ( मेरा मतलब current affairs से है ) तब आपको मेरा शीर्षक हैरान नहीं करेगा । वैसे मैं बता दूं कि मैंने यह शीर्षक क्यों दिया है , जनाब एवं मोहतरमा यह शीर्षक आज का दिनांक है , दिन मंगलवार , फरवरी माह में 2 दिन और शेष हैंं‌ । ... सुबह 3:30 पूर्वाह्न बजे भारतीय वायुसेना के विमानों की दहाड़ से कांप उठा पूरा पाकिस्तान ( हे इश्वर मुझे कैसे-कैसे देशों के नाम अपने ब्लॉग में लिखना पर रहा है , ‌मुझे माफ करना) । पुलवामा हमले में हमारे सैनिकोंं की शहादत का बदला लेते हुए भारतीय वायु सेना ने पाकिस्तान की खाल उधेड़ दी

Last day , Last commitment

Yeah we are at the last moment of 2018. Few minutes are left to take step in 2019. Last commitment is waiting in the last minute.  Come take that together . What do you think of which commitment I am talking about ?  Is it some patriotic or some regarding feminist or some other social stuffs? No my dear readers the last commitment is not about any other person. It's about your own soul . The commitment is that be the pure soul . Soul is the reflection of your thoughts . Soul is the reflection of your deeds . Soul is the reflection of your mindset. Soul is the reflection of your personality. Soul is the reflection of your well- being. If the soul is pure your mindset will be positive , you will succeed in your life . You will be a gentlemen with the pure soul. Friends take a commitment... Take a new year resolution that from this year you will be the real you . You don't have two faces . You don't cheat anyone. You will do all the work genuinely. You will be a rea