अचंभित संयोग

।। अचंभित
संयोग ।।
।भारतीय स्वतंत्रता दिवस एवं रक्षाबंधन एक दिवसीय।
स्वतंत्रता दिवस : इतिहास का वह दिन जिस दिन भारत ने अंग्रेजों की गुलामी छोड़ कर खुद को स्वतंत्र किया । वह दिन जब भारत क्वीन विक्टोरिया नहीं भारत मां कहलाई । भारतीय इतिहास का एक सुनहरा अवसर लोगों को कोई डर ना था , सब खुश थे , सब एक दूसरे को अच्छी नज़र से एवं प्रेम की नज़र से देख रहे थे । सबकी आंखों में भाईचारा झलक रही थी । औरतों के लिए सम्मान था । भारत एकजुट होने वाला था । रोंगटे खरे थे सबके । वह भारत और आज के भारत में कोई अंतर नहीं है । हां भाई हां कोई अंतर नहीं है । जी बिल्कुल सही पढ़ा आपने सही समझा कोई अंतर नहीं है । भारत जैसा था वैसा ही तो है । आज भारत में हर एक नारी के लिए कोई भी दिन सुनहरा नहीं काला दिन हो सकता है , पुरुषों को कोई डर नहीं औरतों को डर हमेशा रहता है , कोई भी औरत खुश नहीं है , सब महिलाओं को देखते तो हैं मगर सामान के रूप में , ममता की मूरत को  तोड़ डालते हैं , किसी की बिटिया को छेड़ जाते हैं औरतों के लिए कोई सम्मान नहीं बचा । यह आज का भारत है जहां हर रोज एक महिला रात को सड़क पर जाने से पहले कई शतक बार सोचती है। क्या यह देश यह आजाद भारत देश उस महिला का नहीं है ? क्या वह महिला भारत मां की बेटी नहीं है ? झांसी भारत मां की तरह इज्जत नहीं चाहिए ? क्या उसे बेझिझक बिना डरे घूमने का हक भारत की संविधान में नहीं दिया? क्या वह नाखून हैवान राक्षस का शिकार बनने के लिए ही पैदा हुई हैं? क्या वह स्वतंत्र भारत के स्वतंत्र नागरिक नहीं है? सच पूछो तो हम आजाद नहीं हुए हैं । हम बुरे समाज के गुलाम हैं । अरे अंग्रेजों की शासन में ही यह देश सोने की चिड़िया थी आजादी मिलने पर उस चिड़िया के पर काट दिए गए । शर्म करो बेशर्मों और याद रखो जो आज तुमने किसी की बहन बेटी के साथ किया है वह कल को तुम्हारी बहन बेटी के साथ नहीं भी हो सकता है ‌। अपनी औकात पर आओ ।
आज १५/०८/१०१९  रक्षाबंधन एवं भारतीय स्वतंत्रता दिवस एक साथ ईश्वर ने कोई संदेश देने के लिए ही रखा है । आज अपनी बहनों से राखी बंधवा हो और वचन धोने की स्वतंत्र भारत की हर एक बहन को स्वतंत्र रहने दोगे ।

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