मां
एक शब्द ही नहीं पूरी दुनिया है । हर एक इंसान की कहानी यहीं से शुरू यहीं पर खत्म होती है । मां के लिए जितना भी लिखूं उतना कम है लेकिन मैंने कुछ पंक्तियां लिखी हैं , उम्मीद है आप सब को पसंद आएंगी ।
270 दिनों तक तेरे गर्भ में रहा
पर तूने कोई किराया नहीं लिया,
लात मार कर दिन रात तुझे परेशान किया
पर तूने आह भी ना भरी 💕
मेरा जन्म ही पहला और आखरी वह दिन था जब मैं रोया और तू हंसी ,
ऐसे तो बस तू ही है एक जो समझ जाए दर्द के सामने की हंसी ।।
पहली बार जब से आंखें खोली तब से तुझे चाहा है
मेरी लड़खड़ाती, टूटी फूटी आवाज़ ने सबसे पहले "मां" ही तो पुकारा है💕
जब सब अपनी गोद में लोग मुझे खेलाने के लिए व्याकुल थे , तब मैंने तेरी गोद में ही सुकुन पाया है ।।
तूने जो स्वेटर बुने थे मेरे लिए वो
लाल पीले रंग बिरंगे चटक मटक सितारों से भरे
मेरे लिए वह है दुनिया के सभी परिधानों से परे ।।
जैसे-जैसे बड़ा हुआ तुझसे दोस्ती गहरी होती गई
मेरे खाना ना खाने के बहानों के लिए तू बहड़ी होती गई
तुमने मुझे चलना सिखाया था ना देखा आज मैं हर दौर में अव्वल हूं
उंगलियां पकड़कर लिखना सिखाया था ना तुने
देख आज अपनी तकदीर खुद से लिख रहा हूं ,
मेले कि भीड़ में किस तरह तुम
मेरा हाथ पकर लेती थी आज दुनिया की भीड़ में अकेला खड़ा हूं ।।
एक सच्ची बात बताता हूं झूले से मैं डरता था कही फिसल कर गिर न जाऊं , जिस दिन तुम ने झूला झुलाया सारा डर निकल गया
सब कहते हैं तू बड़ा हो गया है रौनित लेकिन मैं जानता हूं कितना भी हो जाऊं बरा मां आज भी तेरा बच्चा हूं ।
पानी की बोतल कल भी भुलता था और आज भी भुलता हूं फर्क बस इतना है कल तू बस तक दौर कर पानी दे जाती थी और आज ...||😢
एक शब्द ही नहीं पूरी दुनिया है । हर एक इंसान की कहानी यहीं से शुरू यहीं पर खत्म होती है । मां के लिए जितना भी लिखूं उतना कम है लेकिन मैंने कुछ पंक्तियां लिखी हैं , उम्मीद है आप सब को पसंद आएंगी ।
270 दिनों तक तेरे गर्भ में रहा
पर तूने कोई किराया नहीं लिया,
लात मार कर दिन रात तुझे परेशान किया
पर तूने आह भी ना भरी 💕
मेरा जन्म ही पहला और आखरी वह दिन था जब मैं रोया और तू हंसी ,
ऐसे तो बस तू ही है एक जो समझ जाए दर्द के सामने की हंसी ।।
पहली बार जब से आंखें खोली तब से तुझे चाहा है
मेरी लड़खड़ाती, टूटी फूटी आवाज़ ने सबसे पहले "मां" ही तो पुकारा है💕
जब सब अपनी गोद में लोग मुझे खेलाने के लिए व्याकुल थे , तब मैंने तेरी गोद में ही सुकुन पाया है ।।
तूने जो स्वेटर बुने थे मेरे लिए वो
लाल पीले रंग बिरंगे चटक मटक सितारों से भरे
मेरे लिए वह है दुनिया के सभी परिधानों से परे ।।
जैसे-जैसे बड़ा हुआ तुझसे दोस्ती गहरी होती गई
मेरे खाना ना खाने के बहानों के लिए तू बहड़ी होती गई
तुमने मुझे चलना सिखाया था ना देखा आज मैं हर दौर में अव्वल हूं
उंगलियां पकड़कर लिखना सिखाया था ना तुने
देख आज अपनी तकदीर खुद से लिख रहा हूं ,
मेले कि भीड़ में किस तरह तुम
मेरा हाथ पकर लेती थी आज दुनिया की भीड़ में अकेला खड़ा हूं ।।
एक सच्ची बात बताता हूं झूले से मैं डरता था कही फिसल कर गिर न जाऊं , जिस दिन तुम ने झूला झुलाया सारा डर निकल गया
सब कहते हैं तू बड़ा हो गया है रौनित लेकिन मैं जानता हूं कितना भी हो जाऊं बरा मां आज भी तेरा बच्चा हूं ।
पानी की बोतल कल भी भुलता था और आज भी भुलता हूं फर्क बस इतना है कल तू बस तक दौर कर पानी दे जाती थी और आज ...||😢
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